भोर की मुस्कान
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विषय:- भोर की मुस्कान
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दिनकर ने हैं आंखें खोली कलियों ने ली मुस्कान।
अमबवा के तरुवर पर बैठी कोयल ने छेड़ी तान।।
चांद गया दिनकर आया किरणों ने ली अंगड़ाई ।
डाली डाली सुमन खिले कलियों में आई तरुणाई।।
ऊषा रानी सजधज के निकली लिये बसन्ती डोली।
चहुँदिशि ओर बजे शहनाई सखियाँ भी करें ठीठोली।।
शीतल मन्द बयार चली तरुवर में खनकती पायल।
तरुणाई है द्वार निहारे दिल को करती है घायल।।
आओ सब मिल खुशी मनायें नील गगन के नीचे।
ठंड में बच्चे माँ से चिपटे अपनी आंखों को मीचे।।
चिड़ियां भी लेकर आईं दाना बच्चे भी मुख को खोलें।
प्यार से खाना खिला रही माँ बच्चे भी चीं चीं बोलें।।
कवि विद्या शंकर अवस्थी पथिक कल्यानपुर कानपुर
Renu
10-May-2023 08:49 PM
👍👍
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ऋषभ दिव्येन्द्र
09-May-2023 12:36 PM
बहुत ही सुन्दर
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